कल रात एक ख्वाब देखा, तुम्हे अपने साथ देखा
तुम वही थे खिलखिलाते हुए, मै वही थी मुस्कुराती हुई
तुम्हारी मुहब्बत से भरी आँखों को, मेरी टिमटिमाती निगाहों मई झांकते देखा
तुम्हारा ध्यान खीचने के लिए झूट मूठ का रूठना, और तुम्हारा मुझे मानना
सब दोस्तों के बीच आँखों ही आँखों में कुछ कह जाना
लोगों से छुप छुप के तुम्हारा मुझे बाहों में लेना, और किसी अजनबी के आते ही मेरा तुम्हारी बाँहों से निकल जाना
जैसे कल ही कि बात हो, बहार का चुपके से आ के हमारी जिंदगी में बस जाना,
तुम वही थे अपनी शरारतों से मुझे सताते, रुलाते, मानते हुए
मै वही थी मुस्कुराती, शर्माती और तुम्हारी हर बात पे सौ सौ बार मर जाती हुई
एक छोटी सी दूनिया थी हमारी, किसी से उधार ली हुई
पर लगती थी बिलकुल अपनी, हमारे छोटे छोटे से लम्हों से भरी हुई
तुम वेसे ही थे कि जैसे कोई परवाह नहीं, पर मेरे तुम्हारी निगाहों से ओझल होते ही मुझे ढूठते हुए
मै वही थी हर छोटी सी बात पे समुंदर छलकाती, तुम्हारे दूर चले जाने का सोच कर भी घबराती और तुम्हारी खुशियों कि दुवाएं मांगती हुई
जो बात लगती है सदियों पुरानी, उसे अभी अभी साकार देखा
कल रात एक ख्वाब देखा
जब नींद खुली तो जी में आया फिर सो जाऊं, उन्ही सपनो कि दुनियां में फिर खो जाऊं
तुम्हे अपने सपनों में फिर से पा लूं और तुम्हे फिर से खुद में समां लूं
और फिर भूल जाऊं कि वो हकीकत नहीं, और फिर एक बार
कल रात एक ख्वाब देखा